गुरुग्राम | विशेष रिपोर्ट
देश में जहां एक ओर युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकारी तंत्र के कुछ हिस्सों में ‘एक्सटेंशन कल्चर’ ने योग्यता, अवसर और पारदर्शिता को पीछे छोड़ दिया है।
हम बात कर रहे हैं Gurugram Metropolitan Development Authority (GMDA) की — जो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स और शहरी विकास के नाम पर चल रहे करोड़ों-अरबों के कार्यों का केंद्र बिंदु है।
लेकिन अब इस संस्था के भीतर से चौंकाने वाली सच्चाई सामने आ रही है।

नाम 'सलाहकार', लेकिन काम और पावर स्थायी अफसरों से ज्यादा!
हालांकि सरकार ने स्पष्ट निर्देश दे रखे हैं कि अधिकारियों की सेवा सीमा अधिकतम 65 वर्ष तक ही हो, लेकिन GMDA में कई रिटायर्ड अधिकारी ‘एडवाइज़र’ के नाम पर दोबारा उसी कुर्सी पर लौट आए हैं।
चौंकाने वाली बात ये है कि ये सलाहकार न सिर्फ फाइलों पर साइन कर रहे हैं, बल्कि स्मार्ट सिटी जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स को ऑथराइज और मॉनिटर भी कर रहे हैं।
यहां सवाल यह है कि जब एक ही पद पर पुराने चेहरे टिके रहेंगे, तो देश के करोड़ों योग्य युवा कैसे आगे आएंगे?
‘संबंध’, ‘सिफारिश’ और ‘सेटिंग’ बन गई है नई योग्यता?
शिकायतें सामने आई हैं कि GMDA में नियुक्तियों और एक्सटेंशन का आधार सिस्टम नहीं, संबंध बन चुके हैं। इसी वजह से नौकरी की तलाश में दर-दर भटकते युवाओं के साथ ठगी के मामले बढ़ते जा रहे हैं।

पारदर्शिता की जगह निजी जागीर का भाव?
लंबे समय तक एक ही कुर्सी पर जमे रहना, किसी भी लोकतांत्रिक और पारदर्शी व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है। सरकार की सेवा सीमा नीति केवल कागजों में सिमटकर रह जाए, यह लोकतंत्र के साथ अन्याय है।
Bharat News 360 TV की टीम GMDA से जुड़े ऐसे सभी अधिकारियों की लिस्ट, उनके पद, सैलरी और प्रभाव क्षेत्र की पूरी जानकारी बहुत जल्द सार्वजनिक करेगी — ताकि युवा पीढ़ी को न्याय मिल सके और सिस्टम को जवाबदेह बनाया जा सके।
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