Friday, October 10, 2025

दो साल बाद भी जारी तबाही, वैश्विक राजनीति की जंग तेज

नाटो, अमेरिका, रूस और यूक्रेन की नई रणनीतियाँ, खारकीव पर हमले, साइबर वार और भारत की कूटनीतिक चुनौती

DEHRADUN , Latest Updated On - May 26 2025 | 16:45:00 PM
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फरवरी 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध दो साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है। यह संघर्ष केवल दो देशों के बीच एक सैन्य टकराव बन चुका है, बल्कि अब यह वैश्विक राजनीति, ऊर्जा बाजार, शस्त्र व्यापार और भू-राजनीतिक गठबंधनों का केंद्र बन गया है।

खारकीव और डोनबास पर फिर से हमला

2025 के मई महीने में रूस ने यूक्रेन के खारकीव और डोनबास क्षेत्रों पर नए सिरे से हमले शुरू किए हैं। खारकीव के उत्तर-पूर्वी हिस्सों में रूसी मिसाइलों और ड्रोन हमलों से आम नागरिकों की मौतें हुई हैं, वहीं यूक्रेनी सेना जवाबी कार्रवाई में रूसी ठिकानों पर HIMARS रॉकेट दाग रही है।यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने दावा किया है कि रूस अब बेलारूस सीमा के जरिए नए फ्रंट खोलने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर, रूस का कहना है कि यह उसकीसुरक्षा ज़रूरतोंऔरनाटो विस्तारके खिलाफ की जा रही कार्रवाई है।


नाटो और अमेरिका की भूमिका

हाल के हफ्तों में अमेरिका और नाटो देशों ने यूक्रेन को और अधिक हथियार, रडार सिस्टम और वायु रक्षा उपकरण प्रदान किए हैं। अमेरिका ने हाल ही में यूक्रेन को 3 अरब डॉलर की सैन्य सहायता की घोषणा की है, जिसमें पैट्रियट मिसाइल सिस्टम और ड्रोन तकनीक शामिल है। नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा, "यूक्रेन की रक्षा, लोकतंत्र की रक्षा है। हम पीछे नहीं हटेंगे।" यह बयान रूस के लिए सीधा संदेश माना जा रहा है।

रूस का रणनीतिक दृष्टिकोण

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस युद्ध कोराष्ट्रीय सुरक्षाका मुद्दा मानते हैं। हाल ही में उन्होंने कहा, "पश्चिमी देश यूक्रेन को हमारे खिलाफ एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। हम अपने हितों की रक्षा करना जानते हैं।पुतिन ने अपने रक्षा बजट में 15% की वृद्धि की है और नए प्रकार की क्रूज़ मिसाइलें तैनात करने की घोषणा की है। इसके साथ ही, रूस अपने पुराने सहयोगी देशोंचीन, ईरान और उत्तर कोरिया के साथ रक्षा वार्ताएं भी तेज कर रहा है।

चीन और भारत की भूमिका

चीन ने युद्ध को लेकर एक संतुलित रुख अपनाया है। वह आधिकारिक तौर पर रूस का समर्थन नहीं करता, लेकिन पश्चिमी प्रतिबंधों की आलोचना करता है। चीन ने शांति वार्ता के लिए एक 12-बिंदु प्रस्ताव भी पेश किया था, जो अब तक निष्क्रिय पड़ा है। भारत ने युद्ध पर अब तक तटस्थ रुख रखा है, लेकिन ऊर्जा सुरक्षा और अनाज संकट के कारण भारत भी प्रभावित हो रहा है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार दोनों देशों से युद्धविराम की अपील की है।

जनजीवन और मानवीय संकट

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अब तक इस युद्ध में 6 लाख से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें 40% आम नागरिक हैं। करीब 1.5 करोड़ लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं, और कई देश शरणार्थियों को समायोजित करने में संघर्ष कर रहे हैं। मानवाधिकार संगठनों ने दोनों पक्षों पर युद्ध अपराधों के आरोप लगाए हैं। रूसी हमलों में अस्पताल, स्कूल, और बिजली संयंत्रों को निशाना बनाए जाने की खबरें आई हैं, वहीं यूक्रेनी सैनिकों पर भी कुछ कैदियों के साथ दुर्व्यवहार के आरोप लगे हैं। 


साइबर युद्ध और सूचना युध्द

रूस-यूक्रेन युद्ध सिर्फ मैदान में नहीं लड़ा जा रहा, बल्कि इंटरनेट पर भी इसकी जंग जारी है। हैकिंग, फेक न्यूज़, और साइबर अटैक आम हो चुके हैं। रूस समर्थक ग्रुपकिलनेटऔर यूक्रेन समर्थकआईटी आर्मीके बीच लगातार डिजिटल हमला हो रहा है। यूक्रेन ने कहा है कि वह रूस के भीतर की सोशल मीडिया को टारगेट कर जनता को पुतिन सरकार के खिलाफ जागरूक करना चाहता है, जबकि रूस ने अपने इंटरनेट को लगभग पूरी तरह नियंत्रण में कर लिया है। युद्ध की समाप्ति को लेकर फिलहाल कोई स्पष्ट संकेत नहीं है।  हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय शांति वार्ता की संभावनाएं तलाश रहा है। तुर्की, भारत और चीन जैसे देश मध्यस्थ की भूमिका निभाने को इच्छुक हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि 2025 के अंत तक किसीस्थानीय युद्धविरामया सीमित समझौते की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन स्थायी समाधान फिलहाल दूर की कौड़ी नजर रहा है।

भारत पर प्रभाव: तेल, खाद्य और रक्षा नीति

भारत के लिए यह युद्ध कई आर्थिक और कूटनीतिक चुनौतियां लेकर आया है। एक ओर, रूस से सस्ते तेल की आपूर्ति भारत के लिए लाभदायक रही, तो दूसरी ओर खाद्य महंगाई और वैश्विक अनिश्चितता ने आम जनता को प्रभावित किया है। रक्षा नीति के दृष्टिकोण से भारत अब अपने सैन्य उपकरणों के स्रोतों को विविधीकृत करने पर काम कर रहा है। रूस पर अधिक निर्भरता अब एक रणनीतिक जोखिम बन चुकी है। रूस-यूक्रेन युद्ध अब सिर्फ एक सीमित टकराव नहीं, बल्कि वैश्विक व्यवस्था और शक्ति संतुलन को प्रभावित करने वाला संघर्ष बन गया है। इस युद्ध की परिणति किस दिशा में होगी, यह पूरी दुनिया की निगाहों में हैऔर भारत जैसी उभरती ताकतों की भूमिका इसमें निर्णायक हो सकती है। 

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