भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ (आईएनजेएफ) ने हाल ही में प्रयागराज में अपने आगामी राष्ट्रीय महाधिवेशन की तैयारियों को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न की। महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुनेश्वर मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में महासंघ के वरिष्ठ सदस्यों और विभिन्न प्रकोष्ठों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अवसर पर महासंघ के संरक्षक डॉ. बालकृष्ण पाण्डेय ने पूर्व बैठकों के सकारात्मक विचारों पर चर्चा की और आगामी महाधिवेशन के लिए नई रणनीतियों पर विचार-मंथन हुआ।
भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ (आईएनजेएफ) ने हाल ही में प्रयागराज में अपने आगामी राष्ट्रीय महाधिवेशन की तैयारियों को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न की। महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुनेश्वर मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में महासंघ के वरिष्ठ सदस्यों और विभिन्न प्रकोष्ठों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अवसर पर महासंघ के संरक्षक डॉ. बालकृष्ण पाण्डेय ने पूर्व बैठकों के सकारात्मक विचारों पर चर्चा की और आगामी महाधिवेशन के लिए नई रणनीतियों पर विचार-मंथन हुआ। आयोजन के दौरान राष्ट्रीय संयोजक डॉ. भगवान प्रसाद उपाध्याय ने महाधिवेशन की आगामी योजनाओं और तैयारियों पर प्रकाश डाला, और राष्ट्रीय संस्कृति एवं प्रकाशन प्रकोष्ठ के प्रभारी रवींद्र कुशवाहा ने आवास-व्यवस्था से जुड़े प्रस्ताव को सबके सामने प्रस्तुत किया, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया।
यह बैठक भारतीय पत्रकारिता के एक संयुक्त मंच को संगठित कर समाज में प्रगतिशील एवं सचेत पत्रकारिता का विस्तार करने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। महासंघ का यह उद्देश्य है कि पत्रकारों को सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक स्तर पर मजबूत बनाया जाए और उनके हितों की रक्षा की जा सके। इस प्रकार के आयोजन, जिसमें बड़े पैमाने पर संवाद, मुद्दों की समीक्षा और रणनीतिक निर्णय होते हैं, पत्रकारिता के क्षेत्र में बदलाव की एक सकारात्मक दिशा निर्धारित करते हैं
**विश्लेषण: महासंघ का महत्व और समाज पर प्रभाव**
आज के डिजिटल युग में मीडिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के समक्ष अनेक चुनौतियाँ हैं। प्रेस और पत्रकारों की स्वतंत्रता की रक्षा, उनके हितों की सुरक्षा और प्रशिक्षण में सहयोग जैसे उद्देश्य अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, वर्तमान व्यवस्था में पत्रकारिता से जुड़े कई मुद्दे अब भी अनदेखे रह जाते हैं। इस प्रकार की बैठकों में अनेक विचारधाराओं और विचारों का मिलना स्वाभाविक है, लेकिन प्रश्न यह है कि क्या ये बैठकें वास्तविकता में पत्रकारों की स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त हैं?
महासंघ का यह कदम स्वागत योग्य है, किंतु इसकी प्रभावशीलता तब ही बढ़ सकती है जब यह संगठन सरकार और प्रशासनिक तंत्र के सामने ठोस कार्ययोजना प्रस्तुत कर सके। इससे पत्रकारों को न केवल कानूनी सहायता मिलेगी, बल्कि उनके कार्य के प्रति संवेदनशीलता भी बढ़ेगी। जब समाज में सशक्त और जिम्मेदार पत्रकारिता का प्रसार होगा, तो इसके परिणामस्वरूप जनतंत्र अधिक सशक्त और सूचनापरक बन सकेगा।
**सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी पर प्रश्न**
सरकार को चाहिए कि वह इस प्रकार के संगठनात्मक प्रयासों में सहयोग करे और पत्रकारिता के हितों को संरक्षण देने हेतु अधिक ठोस नीतियां बनाए। ऐसी नीतियां जो पत्रकारों के अधिकारों, उनके लिए स्वतंत्रता और न्याय को सुनिश्चित कर सकें, विशेष रूप से उनके सुरक्षा अधिकारों पर केंद्रित होनी चाहिए।
आज, जब प्रेस स्वतंत्रता पर विभिन्न प्रकार की कानूनी और प्रशासनिक प्रतिबंध लगते हैं, यह जरूरी है कि सरकार की तरफ से अधिक सकारात्मक कदम उठाए जाएं। पत्रकारिता के इस रुझान को नजरअंदाज करने से, अंततः समाज में प्रजातांत्रिक मूल्यों की हानि हो सकती है।
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