देश का केंद्रीय बजट 1 फरवरी को पेश होने जा रहा है और विभिन्न वर्गों के लोग अपने-अपने अधिकारों और मांगों को लेकर सरकार से उम्मीदें लगाए बैठे हैं। इस बार रक्षा कर्मचारियों ने खास तौर पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से कुछ अहम मांगों को लेकर एक पत्र लिखा है, जिसमें आयकर में 10 लाख रुपये तक की छूट और पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली शामिल है।
रक्षा कर्मचारियों की मांग: क्या सरकार सुन पाएगी उनकी आवाज?
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (AIDEF) ने वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि आगामी बजट में रक्षा कर्मचारियों की मांगों का सकारात्मक तरीके से समाधान किया जाए। महासंघ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा लाई गई नई पेंशन योजना (NPS) पुरानी पेंशन योजना (OPS) का स्थान नहीं ले सकती, क्योंकि इसमें कई कमियां हैं। उन्होंने सरकार से पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की है।
इसके अलावा, महासंघ ने आयकर में 10 लाख रुपये तक की छूट देने और असैनिक रक्षा कर्मियों के तीन लाख रिक्त पदों को भरने की भी मांग की है। डॉ. मंजीत सिंह पटेल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, ऑल इंडिया एनपीएस एम्पलाइज फेडरेशन ने भी इस मुद्दे को उठाया है और कहा है कि सरकार को कर्मचारियों की मांगों पर ध्यान देना चाहिए।
क्या सरकार पुराने फैसलों को पलटेगी?
इस बार की सबसे बड़ी चुनौती रक्षा कर्मचारियों के लिए ‘आयुध कारखानों के निगमितकरण’ का मुद्दा है, जिस पर सरकार ने विवादास्पद निर्णय लिया है। श्रीकुमार का कहना है कि सरकार ने रक्षा उत्पादन विभाग के 41 आयुध कारखानों को निगमित करने का निर्णय लिया, जो उनके अनुसार रक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी गलती है।
इसके साथ ही रक्षा कर्मचारियों ने यह भी दावा किया है कि सरकार के कदम मजदूर वर्ग और ट्रेड यूनियनों के लिए हमेशा नकारात्मक रहे हैं, जबकि औद्योगिक घरानों और कॉर्पोरेट्स के हितों का ख्याल रखा जाता है।
आखिरकार, क्या होगा सरकार का रुख?
रक्षा कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के अलावा, केंद्रीय कर्मचारियों और अन्य सरकारी कर्मचारियों ने भी बजट में अपने हक की बात रखने के लिए आवाज उठाई है। इसमें केंद्रीय कर्मचारियों के लिए फेस्टिवल एडवांस की बहाली, पेंशन में वृद्धि, और मेडिकल सुविधाओं की बेहतर व्यवस्था शामिल है।
सभी की निगाहें अब केंद्रीय बजट पर टिकी हैं, जो आने वाले दिनों में यह तय करेगा कि क्या सरकार इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई ठोस कदम उठाएगी या नहीं।
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