Wednesday, June 18, 2025

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक लेखन पर विशेषज्ञ व्याख्यान: छात्रों को शोध और लेखन की नई दिशा मिली।

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक लेखन पर विशेषज्ञ व्याख्यान, छात्रों को शोध लेखन की नैतिकता और कार्यप्रणाली से परिचित कराया गया।

New Delhi , Latest Updated On - Jan 20 2025 | 19:00:00 PM
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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के आईसीटी स्कूल द्वारा 20 जनवरी 2025 को वैज्ञानिक लेखन पर एक विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में स्प्रिंगर नेचर की संपादकीय निदेशक स्वाति मेहरिशी और सीएसआईआर-एनएएल की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बालामती चौधरी ने छात्रों को प्रभावी शोध लेखन और वैज्ञानिक लेखन की नैतिकता के बारे में मार्गदर्शन दिया।

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ग्रेटर नोएडा, 20 जनवरी 2025: क्या आप जानते हैं कि वैज्ञानिक लेखन केवल शब्दों का संयोजन नहीं, बल्कि एक कला है, जो शोध की दुनिया में क्रांति ला सकती है? आज गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के आईसीटी स्कूल में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम ने इस रहस्यमय कला का पर्दाफाश किया। यह कार्यक्रम, जो 20 जनवरी 2025 को हुआ, छात्रों को वैज्ञानिक लेखन की गंभीरता और प्रभावी शोध प्रकाशन के महत्व से परिचित कराने के लिए आयोजित किया गया था।

कार्यक्रम में विशेष रूप से दो प्रमुख वक्ताओं का स्वागत किया गया—स्वाति मेहरिशी, जो स्प्रिंगर नेचर की संपादकीय निदेशक हैं, और डॉ. बालामती चौधरी, जो सीएसआईआर-नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज (एनएएल) की प्रधान वैज्ञानिक हैं। इन विशेषज्ञों ने छात्रों को बताया कि प्रभावी वैज्ञानिक लेखन न केवल अच्छे शोध के परिणामों को प्रस्तुत करने का एक तरीका है, बल्कि यह शोध की नैतिकता, कार्यप्रणाली और पारदर्शिता की भी गहरी समझ उत्पन्न करता है।

कार्यक्रम का समन्वय डॉ. विदुषी शर्मा (एचओडी, ईसीई), डॉ. नीता सिंह (एचओडी, आईटी) और डॉ. अरुण सोलंकी (एचओडी, सीएसई) ने किया, जिनके नेतृत्व में इस सत्र का आयोजन बखूबी हुआ। सह-समन्वयक डॉ. अन्नू सिंह और डेजी सिंह ने कार्यक्रम के सुचारू संचालन में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे सत्र ने एक नए आयाम को छुआ।

स्वाति मेहरिशी और डॉ. बालामती चौधरी ने अपने अनुभवों से छात्रों को यह सिखाया कि एक अच्छा वैज्ञानिक लेखक केवल तथ्यों को नहीं प्रस्तुत करता, बल्कि वह अनुसंधान में सत्य और अखंडता को बनाए रखते हुए अपनी दृष्टि को स्पष्टता से प्रस्तुत करता है। इन दोनों ने, खासकर शोध पत्र प्रकाशन को लेकर छात्रों को मार्गदर्शन दिया और उन्हें बताया कि शोध में पारदर्शिता और सटीकता को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।

सत्र के अंत में, आईसीटी स्कूल के डीन, डॉ. अर्पित भारद्वाज ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसे अत्यधिक प्रभावशाली और संवादात्मक बताया। उन्होंने संस्थान की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया, जो भविष्य में एक मजबूत शोध संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के अधिक कार्यक्रमों का आयोजन करेगा।

क्या यह कार्यक्रम छात्रों को उनके शोध लेखन कौशल में निखार लाने के लिए प्रेरित करेगा? क्या यह कदम वैज्ञानिक लेखन की दुनिया में एक नए युग की शुरुआत करेगा? समय के साथ इसका उत्तर स्पष्ट होगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय इस दिशा में अपने विद्यार्थियों को एक मजबूत और उत्कृष्ट भविष्य की ओर अग्रसर कर रहा है।


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