नई दिल्ली/असुनसियोन।
भारत और दक्षिण अमेरिकी देश पराग्वे ने द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊर्जा देने का संकल्प दोहराया है। दोनों देश अब स्वच्छ ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, जैव ईंधन (बायोफ्यूल्स) जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके साथ ही साइबर अपराध, संगठित अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी जैसे वैश्विक खतरों से निपटने के लिए भी साझेदारी को मजबूत किया जा रहा है।
यह रणनीतिक सहयोग दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है—एक ऐसी पृथ्वी के निर्माण की ओर जो सतत हो, हरित हो और भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित हो। भारत और पराग्वे का यह गठबंधन सिर्फ ऊर्जा और तकनीक तक सीमित नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था, साइबर सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय अपराध नियंत्रण जैसे क्षेत्रों में भी परस्पर सहयोग को गहराई देगा।

ऊर्जा साझेदारी: हरित भविष्य की ओर कदम
भारत ने बीते वर्षों में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस की स्थापना की, जिससे सौर ऊर्जा को वैश्विक आंदोलन का रूप मिला। इसी दिशा में, भारत अब हरित हाइड्रोजन और जैव ईंधन जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने पर जोर दे रहा है।
पराग्वे, जो कि जलविद्युत उत्पादन में आत्मनिर्भर है, स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में उभरा है। दोनों देशों के बीच यह सहमति बनी है कि अक्षय ऊर्जा के तकनीकी विकास, ट्रांसफर और निवेश के क्षेत्र में सहयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। खासकर हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण और निर्यात के क्षेत्र में द्विपक्षीय परियोजनाएं शुरू की जा सकती हैं।
जैव ईंधन और कृषि आधारित ऊर्जा पर भी फोकस
भारत के कृषि प्रधान समाज में जैव ईंधन की भूमिका बढ़ रही है। एथेनॉल सम्मिश्रण नीति के तहत भारत ने पेट्रोल में एथेनॉल की मात्रा को 10% तक पहुंचाया है, जिसका लक्ष्य 20% तक ले जाना है। पराग्वे, जो कि दक्षिण अमेरिका के प्रमुख सोयाबीन उत्पादक देशों में से एक है, बायोडीजल उत्पादन में अग्रणी है। इस पारस्परिक सहयोग से भारत को जहां तकनीकी अनुभव मिलेगा, वहीं पराग्वे को भारतीय बाजार और निवेश का लाभ मिल सकता है। यह भागीदारी न केवल ऊर्जा क्षेत्र को मजबूती देगी, बल्कि दोनों देशों की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाएगी।
साइबर अपराध और संगठित अपराध के खिलाफ साझा मोर्चा
दुनिया आज डिजिटल क्रांति के युग में है, जहां साइबर हमले और संगठित अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। भारत और पराग्वे ने यह स्वीकार किया है कि ऐसे खतरों का मुकाबला करने के लिए परस्पर सहयोग और तकनीकी सूचना साझा करना अत्यंत आवश्यक है। दोनों देशों ने साइबर सुरक्षा में संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों, क्षमता निर्माण और खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी और संगठित अपराध के नेटवर्क को तोड़ने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय को बढ़ाया जाएगा।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग को मिलेगी गति
भारत और पराग्वे ने यह भी स्पष्ट किया है कि वे संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन (WTO), और जलवायु परिवर्तन संबंधी पेरिस समझौते जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन करेंगे। वैश्विक दक्षिण (Global
South) के रूप में, दोनों देश यह मानते हैं कि विकसित राष्ट्रों द्वारा पर्यावरण और आर्थिक न्याय के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाना अनिवार्य है।
भारत ने जी-20 और ब्रिक्स जैसे मंचों पर विकासशील देशों की आवाज बुलंद की है, और अब पराग्वे जैसे लातीनी अमेरिकी देशों के साथ साझेदारी कर उसे और व्यापक बनाने की दिशा में अग्रसर है।
राजनयिक संबंधों को मिलेगा नया विस्तार
भारत और पराग्वे के बीच राजनयिक संबंधों की शुरुआत 1961 में हुई थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह सहयोग नई ऊंचाइयों पर पहुंचा है। भारत ने 2020 में असुनसियोन में अपना दूतावास खोला, जबकि पराग्वे ने नई दिल्ली में अपने मिशन को और सक्रिय किया है।
आने वाले समय में उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडलों की यात्राएं, सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम और व्यापारिक शिष्टमंडलों के दौरे इस साझेदारी को और सशक्त बनाएंगे।
व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में भी संभावनाएं
भारत और पराग्वे ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऊर्जा और सुरक्षा के अलावा, व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में सहयोग के असीम अवसर मौजूद हैं। भारत की फार्मास्युटिकल कंपनियां पराग्वे में सस्ती और गुणवत्ता वाली दवाइयों की आपूर्ति कर सकती हैं। साथ ही, पराग्वे के छात्र भारतीय तकनीकी और मेडिकल संस्थानों में अध्ययन कर सकते हैं।
ई-गवर्नेंस, डिजिटल पेमेंट, स्मार्ट सिटी जैसे क्षेत्रों में भारत का अनुभव पराग्वे के लिए लाभदायक साबित हो सकता है, वहीं पराग्वे का जैव विविधता और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का मॉडल भारत के लिए प्रेरणा बन सकता है।

भारत और पराग्वे की यह रणनीतिक साझेदारी न केवल दोनों देशों को विकास की दिशा में आगे बढ़ाएगी, बल्कि एक हरित, सुरक्षित और न्यायपूर्ण वैश्विक व्यवस्था की ओर भी कदम होगा। स्वच्छ ऊर्जा से लेकर साइबर सुरक्षा तक, यह सहयोग 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौतियों का उत्तर देने की क्षमता रखता है।
यह साझेदारी केवल दो देशों के बीच कूटनीतिक संवाद नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक दृष्टिकोण है—जहां सहयोग, समरसता और सतत विकास का आदर्श स्थापित किया जा रहा है। आने वाले वर्षों में यह संबंध ऊर्जा, व्यापार और सुरक्षा के नए क्षितिज खोलेगा।
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