जम्मू-कश्मीर एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में है। शनिवार-रविवार की दरमियानी रात कठुआ ज़िले की जोध घाटी में बादल फटने से अचानक आई फ्लैश फ्लड ने कई घरों, दुकानों और सड़कों को बहा दिया। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, इस हादसे में कम से कम 7 लोगों की मौत हुई है,जिनमें 5 मृतक जोध घाटी से तथा 2 लोग जांग्लोटे क्षेत्र में भूस्खलन (लैंडस्लाइड) की चपेट में आए। तेज़ धार के साथ आए मलबे ने नेशनल हाईवे-44 (NH-44) के हिस्सों को क्षतिग्रस्त कर दिया, रेलवे ट्रैक उखड़ गए और एक पुलिस थाने समेत कई आवासीय ढांचे प्रभावित हुए हैं।
हालात की गंभीरता को देखते हुए सेना, NDRF, SDRF और स्थानीय प्रशासन बड़े पैमाने पर राहत-बचाव अभियान चला रहे हैं मलबे में दबे लोगों की तलाश, फंसे नागरिकों का सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरण और घायलों को नज़दीकी अस्पतालों तक पहुँचाने का काम युद्धस्तर पर जारी है। यह त्रासदी ऐसे समय में हुई है जब किश्तवार के चोसीटी गाँव में हालिया क्लाउडबर्स्ट से 65+ मौतें, 300+ घायल और ~200 लापता होने की दर्दनाक घटना से क्षेत्र उबर भी नहीं पाया था। विशेषज्ञ इसे केवल एक प्राकृतिक हादसा नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन और पहाड़ी पारिस्थितिकी की नाज़ुकता की कड़ी चेतावनी मान रहे हैं लगातार बढ़ती चरम वर्षा घटनाएँ, ढालों का क्षरण, अनियोजित निर्माण और जलनिकासी व्यवस्थाओं की कमी, नुकसान को कई गुना बढ़ा देती हैं।
प्रशासन ने संवेदनशील ढालों, निचले बस्तियों और नदी/नालों के किनारे बसावट वाले इलाकों में एडवाइज़री जारी की है; लोगों से अपील है कि अफवाहों से बचें, ऊँचे/सुरक्षित स्थलों पर शरण लें, मोबाइल पर मिलने वाले आधिकारिक अलर्ट पर ध्यान दें और अनावश्यक यात्रा से परहेज़ करें ख़ासकर NH-44 और पहाड़ी लिंक-रोड्स पर। फिलहाल मृतकों की संख्या में इज़ाफ़ा संभव है; नुकसान का पूर्ण आकलन, पुनर्वास और बुनियादी ढांचे की बहाली प्राथमिकता पर है। भारत न्यूज़ 360 टीवी प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता है और दर्शकों से अपील करता है: जीवन-रक्षा सर्वोपरि है—कृपया प्रशासन के निर्देशों का पालन करें, जोखिम वाले जलमार्गों/पुलों को पार न करें, और आपात स्थिति में हेल्पलाइन से तुरंत संपर्क करें।
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