किसानों की आय वृद्धि, महिला सशक्तिकरण व ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया आधार
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और डेयरी क्षेत्र को नया आयाम देने की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) हस्ताक्षरित किया है। इस समझौते के तहत कानपुर, गोरखपुर, कन्नौज के डेयरी प्लांट एवं अम्बेडकरनगर की पशु आहार निर्माणशाला का संचालन अब एनडीडीबी द्वारा किया जाएगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न समारोह में प्रदेश सरकार और एनडीडीबी के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच समझौते का आदान-प्रदान किया गया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा,
“उत्तर प्रदेश की दुग्ध उत्पादन क्षमता हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मेरुदंड है। हम किसानों की आय दोगुनी करने के अपने लक्ष्य की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। एनडीडीबी जैसे अनुभवी और पारदर्शी संस्थान के साथ यह रणनीतिक साझेदारी प्रदेश में डेयरी सेक्टर का कायाकल्प कर सकती है।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों की उपेक्षा के कारण पशुधन आधारित अर्थव्यवस्था और डेयरी सेक्टर में ठहराव आया था। लेकिन 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि, पशुपालन और डेयरी क्षेत्र में अनेक नवाचार हुए हैं, जिनके परिणाम अब स्पष्ट रूप से सामने आ रहे हैं।
तकनीकी दक्षता और पारदर्शिता से होगा संचालन
एनडीडीबी के साथ हुए इस समझौते से राज्य सरकार को अतिरिक्त वित्तीय व्यय की आवश्यकता नहीं होगी। एनडीडीबी इन इकाइयों का संचालन तकनीकी दक्षता, पारदर्शिता, और स्थानीय सहभागिता के सिद्धांतों पर करेगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इससे किसानों को समयबद्ध भुगतान, बेहतर मूल्य, स्थायी विपणन और स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। साथ ही, महिला सशक्तिकरण को भी नई ऊर्जा मिलेगी, जैसा कि झांसी की बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी और आगरा, गोरखपुर की सहकारी इकाइयों में देखा गया है।
एनडीडीबी की भूमिका और अध्यक्ष का वक्तव्य
एनडीडीबी अध्यक्ष श्री मीनेश शाह ने इस अवसर पर कहा कि
“उत्तर प्रदेश में दुग्ध उत्पादन और पशुपालन क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। हमें गर्व है कि हमें प्रदेश की चार प्रमुख इकाइयों का संचालन सौंपा गया है। इन इकाइयों को हम लाभकारी व मॉडल डेयरी इकाइयों के रूप में विकसित करेंगे।”
उन्होंने यह भी बताया कि वर्ल्ड डेयरी समिट 2022 के सफल आयोजन में उत्तर प्रदेश सरकार के योगदान के लिए वे मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हैं।

डेयरी प्लांट और उनकी क्षमता
प्रमुख सचिव, दुग्ध विकास विभाग के अनुसार, हस्तांतरित इकाइयों का विवरण इस प्रकार है:
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कानपुर डेयरी प्लांट
लागत: ₹160.84 करोड़
क्षमता: 4 लाख लीटर/दैनिक
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गोरखपुर डेयरी प्लांट
लागत: ₹61.80 करोड़
क्षमता: 1 लाख लीटर/दैनिक
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कन्नौज डेयरी प्लांट
लागत: ₹88.05 करोड़
क्षमता: 1 लाख लीटर/दैनिक
तीनों प्लांट्स पहले तकनीकी कारणों और बाज़ार अभाव के चलते पूरी तरह से सक्रिय नहीं थे, पर अब एनडीडीबी के संचालन में ये पूर्ण क्षमता से चालू हो सकेंगे।
अम्बेडकरनगर की पशु आहार निर्माणशाला
इसके अतिरिक्त, ₹18.44 करोड़ की लागत से स्थापित अम्बेडकरनगर स्थित पशु आहार निर्माण इकाई भी एनडीडीबी को हस्तांतरित की गई है। यह संयंत्र प्रतिदिन 100 मीट्रिक टन बायपास प्रोटीन फीड का उत्पादन करता है और चालू वित्तीय वर्ष में इससे ₹66.88 लाख का लाभ अनुमानित है।

जनभागीदारी और सहकारी समितियों की भूमिका
एनडीडीबी मॉडल के तहत स्थानीय सहकारी समितियों की भागीदारी, संसाधनों का समुचित उपयोग, उपकरणों की सुरक्षा, अनावश्यक खर्चों में कटौती, और राजस्व साझेदारी को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे राज्य सरकार को राजस्व लाभ होगा, जबकि किसानों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
भविष्य की दिशा: उत्तर प्रदेश बनेगा वैश्विक डेयरी केंद्र
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यदि राज्य की पशुधन क्षमता और दुग्ध संसाधनों को वैज्ञानिक तरीके से नियोजित किया जाए, तो उत्तर प्रदेश न केवल देश का अग्रणी राज्य बन सकता है, बल्कि वैश्विक डेयरी मानचित्र पर भी अपनी विशिष्ट पहचान बना सकता है।
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